Wednesday, July 15, 2020

यह भीड़ पड़ ना जाये जान पर भारी, सरकार ही तोड़ रही नियम तो जनता पर ही क्यों लागू सारे प्रतिबंध ?

*होटल में उड़ी सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां
* मुख्यमंत्री निवास में भी नही था कोरोना का डर,     केवल डर था तो सरकार गिरने का
* ब्रेकिंग न्यूज के लालच में मीडिया भी भूल गया     कोरोना
उन्नति एक्सप्रेस, जयपुर
राजस्थान में सियासी उथल- पुथल के बाद परिणाम तो कुछ नहीं बदला लेकिन एक बात बहुत स्पष्ट हो गयी है कि नेता अपने स्वार्थ के लिये किसी भी हद तक जा सकते हैं। अपनी कुर्सी बचाने के लिये किसी भी नियम का उल्लंघन कर सकते हैं।
कांग्रेस के सभी विधायकों की बैठक बुलाई गई जिसमें तकरीबन 90-100 विधायक और नेता मौजूद रहे ।

किसी शादी समारोह में अधिकतम 50 लोग शामिल हो सकते है l 
अंत्येष्टि में अधिकतम 20 लोग शामिल हो सकते हैं । 
धार्मिक आयोजन अथवा धार्मिक स्थल पर ज्यादा लोगों के एकत्र होने पर भी प्रतिबंध हैl

इन सब नियमों के बाद भी कैसे 100 लोग एक साथ एकत्र हो गये ?

क्या नियम और प्रतिबंध केवल आम जनता के लिये है ?
क्या सियासी लोगों से पूछ कर कोरोना का आना जाना है ?
क्या कोरोना का प्रसार नेताओ से नहीं होता ?
क्या इतनी जरूरत थी कि कोरोनाकाल में ये सब करना पड़ा ?
प्रतिबंध केवल आम जनता के लिये क्यों??
नियम तोड़ने पर जनता को जुर्माना और सजा मिलती है फिर 
क्या नियम तोडने के लिये इन सब पर कानूनी कार्यवाही नही होनी चाहिए ? सरकार ही नियम तोड़े तो जवाब कौन देगा ? क्या सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर संज्ञान नहीं लेना चाहिए ?
जनता की आवाज उठाने वाला मीडिया खुद भूल गया कायदे
ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर मे जनता की आवाज उठाने वाला मीडिया खुद ही सारे कानून कायदे और नियम भूल गया। अपने सवालों का जवाब मांगते मांगते खुद ही नियमों को ताक पर रख दिया तो अब जनता के सवालों का क्या ?

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