Monday, June 7, 2021

15 आईपीएस का हुआ तबादला, कहीं राजनीतिक दबाव तो नही तबादलों के कारण ?

सिरोही, नागौर, प्रतापगढ़ व सवाईमाधोपुर एसपी के साथ कुल 15 आईपीएस का हुआ तबादला*

बड़ा सवाल-कहीं राजनीतिक दबाव तो नही तबादलों का कारण ?

--चारों एसपी पिछले कई दिनों से थे विवादों में, नेताओं ने खोल रखा था मोर्चा

--अफसर-नेता टकराव में कुछ दिनों में हो सकते है और भी तबादले




उन्नति एक्सप्रेस/ भंवर सिंह

जयपुर। राजस्थान सरकार में एक बार फिर मंत्री-नेता और ब्यूरोक्रेट्स में हुई चल रही तनातनी चर्चा का विषय बन गयी है।  कुछ अफसरों का खुलकर विरोध हो रहा है जिसका नतीजा भी सोमवार को देखने को मिला। राजस्‍थान में एक बार फिर मंत्री-नेता और ब्यूरोक्रेट्स के आमने-सामने होने का नतीजा तबादलों के रूप में सामने आ रहा है। सोमवार 7 जून को राजस्थान सरकार के आदेशों से राज्य के 15 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है। सिरोही एसपी हिम्मत अभिलाष टांक को पुलिस ट्रेनिंग सेंटर किशनगढ़ अजमेर भेजा गया है वही नागौर एसपी श्वेता धनकड़ को जयपुर कमिश्नरेट में ट्रेफिक में लगाया गया है इसके अलावा सवाईमाधोपुर एसपी सुधीर चौधरी को राजसमन्द एसपी लगाया गया है तथा प्रतापगढ़ एसपी चुनाराम जाट को सीआईडी सीबी में भेज दिया गया है। गौरतलब है कि राज्य के 1 दर्जन से अधिक जिलों के कलेक्टर और एसपी स्थानीय जनप्रतिनिधियों के निशाने पर है और तबादलों का दौर आगे भी जारी रह सकता है। सिरोही एसपी हिम्मत अभिलाष टांक के खिलाफ स्थानीय विधायक का विरोध किसी से छुपा नही है वहीं सवाईमाधोपुर एसपी सुधीर चौधरी के खिलाफ भी स्थानीय नेताओं ने कई बार विरोध जताया है तथा नागौर एसपी के खिलाफ सांसद हनुमान बेनीवाल ने मोर्चा खोल ही रखा था। टकराव को टालने के कारण ही शायद इन आईपीएस का तबादला हुआ है जिसे रूटीन ट्रांसफर का नाम दिया जा सकता है।


*नेताओं और मंत्रियों से टकराने वाले अफसर हो जाते है तबादला नीति का शिकार*

मंत्रियों से भिड़ने वाले अफसरों पर अक्सर तबादले की गाज गिरती रही है। विवादों में रहने वाले अफसरों का तबादला कर दिया जाता है और अभी कई तबादलों की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। जनप्रतिनिधि अफसरों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं तो कई बार सोशल मीडिया पर अफसरों को विरोध झेलना पड़ रहा है। कोई मंत्रीपरिषद की बैठक में अफसरों की शिकायत मुख्यमंत्री से कर रहा है तो कोई मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख रहा है। कोई डीजीपी से भी शिकायत कर रहा है। अफसरों और नेताओं के टकराव में पलड़ा हमेशा नेताओं का ही भारी रहा है।


*अभी ये अफसर है निशाने पर*


- धौलपुर एसपी केसर सिंह के खिलाफ बीजेपी के स्थानीय नेता, डीजीपी से मिल कर चुके हैं शिकायत

- सवाई माधोपुर एसपी सुधीर चौधरी के खिलाफ स्थानीय नेताओं ने दर्ज कराया है विरोध

- एसपी जालोर के विरोध में मंत्री का बेटा, धरना तक दिया

- भरतपुर एसपी देवेंद्र सिंह स्थानीय सांसद पर हुए हमले में घिरे हुए है

- बाड़मेर एसपी आनंद शर्मा के खिलाफ विधायक ने एनकाउंटर का उठाया है मामला

- कोटा ग्रामीण एसपी से स्थानीय जनप्रतिनिधि बताए जा रहे है नाराज

--प्रतापगढ़ एसपी चुना राम भी नेताओ के राडार पर थे

*कई कलेक्टर भी है इस सूची में शामिल*

--जयपुर कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा के लिए मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दफ्तर से नहीं निकलने के आरोप लगाए हैं

--बूंदी कलेक्टर आशीष गुप्ता के खिलाफ मंत्री कई बार आरोप लगा चुके हैं

--बारां कलेक्टर राजेन्द्र विजय के थप्पड़ कांड पर विधायक भरत सिंह ने सीएम को पत्र लिखकर शिकायत की है 

--झुंझुनूं कलेक्टर यूडी खान पर स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने फील्ड में नहीं जाने के आरोप लगाएं है

--प्रतापगढ़ कलेक्टर रेनू जयपाल से भी स्थानीय विधायक नाखुश है

--जैसलमेर कलेक्टर आशीष मोदी के व्यवहार से मंत्री नाखुश, सीएम को लिख चुके हैं चिट्ठी


अफसरों के खिलाफ जनप्रतिनिधियों के विरोध में कोई खास क्षेत्र, उम्र, प्रमोटी या डायरेक्ट भर्ती की कैटेगरी भी नहीं है।  राज्य की सियासत मेंअफसरों और नेताओं के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है। पहले भी विवाद होते रहे हैं, लेकिन हर विवाद में जनप्रतिनिधियों का पलड़ा ही भारी रहा है।

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