उन्नति एक्सप्रेस -: शेखावाटी ब्यूरो हेड हरीश शर्मा
चूरू -: राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) बलजीतसिंह के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रमोद बंसल द्वारा सोमवार को राजकीय श्री बृजलाल बुधिया बालिका उच्च माध्यिमक विघालय, रतननगर में स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र पर बाल विवाह रोकथाम व महिला सशक्तिकरण पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया। इस अवसर पर सचिव प्रमोद बंसल ने बताया कि राजस्थान में बच्चों की छोटी उम्र में शादी की कुरीति को रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 लागू किया गया है जिसमें लड़के की आयु 21 वर्ष से कम है और लड़की की आयु 18 वर्ष से कम है तो वे विवाह योग्य नहीं है। यदि विवाह के समय लड़का या लड़की दोनों में से कोई विवाह योग्य उम्र का नहीं है, तो ऎसा विवाह बाल विवाह होने से अपराध माना गया है। बाल विवाह को किन परिस्थितियों में शून्य प्रभावहीन माना जायेगा, इसके बारे में बताया गया कि अवयस्क बालिका से विवाह करने वाले व्यक्ति, बाल विवाह करवाने वाले व्यक्ति या उत्प्रेरित करने वाले व्यक्ति, बाल विवाह को प्रोत्साहन या अनुमति देने वाले, बाल विवाह में शामिल होने वाले पंडित,नाई, बाराती, अतिथि, बैण्डवाले, खाना बनाने वाले, टेण्ट वाले (जब तक कि वह साबित न करे दें कि बाल विवाह उसकी जानकारी में नहीं था) को सजा हो सकती है। बाल विवाह किस प्रकार समाज एवं राष्ट्र, बेमेल विवाह, परिणिति तलाक, छोटी उम्र में वैधव्य, छोटी उम्र में मां बनना, शिक्षा, कार्यकुशला एवं आत्मनिर्भरता का अभाव, शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमजोर पीढी का जन्म, वैवाहिक जीवन में तनाव आदि दुष्परिणामों को जन्म देता है।
महिला सशक्तिकरण के जानकारी देते हुए सचिव ने बताया कि भारत में नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में महिला शिक्षा देश के समग्र विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। शिक्षित महिलाएं न केवल अपनी बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देती है, बल्कि अपने परिवार को बेहतर मार्गदर्शन भी प्रदान करती है। उपस्थित महिलाओं को महिला अधिकारों एव कानूनों की जानकारी दी जाकर उन्हें प्रदान की जाने वाली विधिक सहायता व पीड़ित प्रतिकर स्कीम के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई।
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